• उत्तराखंड कब बना
  • उत्तरांचल से उत्तराखंड कब बना
  • उत्तराखंड के बारे में आंकड़े
  • उत्तराखंड में राज्यपालों की सूची कुछ इस प्रकार है
  • उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की सूची कुछ इस प्रकार है
  • उत्तराखंड के पांच प्रयागों के नाम बताइए
  • विष्णु प्रयाग के बारे में बताइए
  • नंदप्रयाग के बारे में बताइए।
  • कर्णप्रयाग के बारे में बताइए ।
  • रुद्रप्रयाग के बारे में बताइए
  • देवप्रयाग के बारे में बताइए
  • उत्तराखंड से जुड़े प्रमुख आंदोलन कुछ इस प्रकार है
  • कुली बेगार आंदोलन क्या है
  • डोला पालकी आंदोलन क्या है
  • रवाई आंदोलन क्या है
  • टिहरी राज्य आंदोलन क्या है
  • चिपको आंदोलन क्या है

उत्तराखंड कब बना
उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 को 27 वे राज्य के रूप में बना। उत्तराखंड राज्य उत्तर प्रदेश से 9 नवंबर 2000 को अलग हुआ था। यह उत्तर प्रदेश से अलग होने का कारण विकास का ना हो पाना था आजादी के बाद से उत्तराखंड को अलग करने में कई आंदोलनकारियों ने आंदोलन किया और कई घटनाएं घटी तब जाकर उत्तराखंड को आजादी के बाद 53 साल लग गए अलग होने में

नोट 15 august 1996 को एचडी देवेगौड़ा
ने उत्तराखंड की गठन की घोषणा किया था लाल किला में

उत्तरांचल से उत्तराखंड कब बना
उत्तराखंड जो 9 नवंबर 2000 को बना तब इसका नाम उत्तरांचल था उत्तराखंड जो कि भारत के उत्तर की ओर है उत्तराखंड एक पर्वतीय भाग है यहां आपको केदारखंड और मानस खंड मिलते हैं ऋग्वेद में उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा गया है और इसे देवी देवताओं की भूमि कहा जाता है उत्तराखंड के बारे में यह सभी कहे जाने वाले कथन है इसी कारण उत्तराखंड और राज्यों से अलग है 9 नवंबर 2000 को इसका नाम उत्तरांचल पड़ा था उत्तराखंड का नाम पुराणों में भी मिलता है देवभूमि के नाम से और स्थानीय ओं की भावनाओं को देखकर 1 जनवरी 2007 के बाद उत्तरांचल को उत्तराखंड नाम दे दिया गया

उत्तराखंड के बारे में आंकड़े
1- राज्य का नाम – उत्तराखंड
2-राज्य की राजधानी – देहरादून
3- राज्य की भौगोलिक स्थिति – उत्तरी अक्षांश में 28°43′ से 31°27′ तक) /
(पूर्वी / देशांतर में 77°34′ से 81°02′ तक है
4- राज्य का क्षेत्रफल – 53483 वर्ग किलोमीटर
5- राज्य की लंबाई और चौड़ाई – 358 पूरब से पश्चिम 320 उत्तर से दक्षिण
6- देश का कौन सा राज्य – 27 वा राज्य
7- राज्य का गठन कब हुआ – 9 नवंबर 2000
8-राज्य में कुल कितने जिले हैं – 13
9- राज्य में कुल कितने तहसील है- 78
10- राज्य में कुल कितने विकासखंड है- 95

11-विधानसभा सदस्य की संख्या कितनी है – 70
12- राज्यसभा सदस्य की संख्या कितनी है – 3

उत्तराखंड में राज्यपालों की सूची कुछ इस प्रकार है

सुरजीत सिंह बरनाला9 नवंबर 20007 जनवरी 2003
सुदर्शन अग्रवाल8 जनवरी 200328 अक्टूबर 2007
बनवारी लाल जोशी29 अक्टूबर 20075 अगस्त 2009
मार्केट अल्वा 6 अगस्त 200914 मई 2012
अजीज कुरैशी15 मई 20128 जनवरी 2015
कृष्णकांत पॉल8 जनवरी 201525 अगस्त 2018
बेबी रानी मौर्य26 अगस्त 201828 सितंबर 2021
गुरमीत सिंह9 सितंबर 2021अभी तक

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की सूची कुछ इस प्रकार है

नित्यानंद स्वामी9 नवंबर 200029 अक्टूबर 2001
भगत सिंह कोश्यारी30 अक्टूबर 20011 मार्च 2002
नारायण दत्त तिवारी2 मार्च 20027 मार्च 2007
भूवन चंद्र खंडूरी7 मार्च 200726 जून 2009
डॉ रमेश पोखरिया निशंक27 जून 200910 सितंबर 2011
भुवन चंद्र खंडूरी11 सितंबर 201113 मार्च 2012
विजय बहुगुणा13 मार्च 201231 जनवरी 2014
हरीश रावत1 फरवरी 201427 मार्च 2016
हरीश रावत21 अप्रैल 201622 फरवरी 2016
हरीश रावत21 मई 201618 मार्च 2017
त्रिवेंद्र सिंह रावत18 मार्च 20179 मार्च 2021
तीरथ सिंह रावत10 मार्च 20212 जुलाई 2021
पुष्कर सिंह धामी4 जुलाई 2021अभी तक

उत्तराखंड के पांच प्रयागों के नाम बताइए

1 विष्णु प्रयाग के बारे में बताइए ।
इसे पांच प्रयागो में पहला प्रयाग माना जाता है प्रयाग का अर्थ नदियों का संगम होता है,इसमें विष्णु गंगा व धौली गंगा मिलकर अलकनंदा नदी बनाते हैं तथा यह विष्णु प्रयाग कहलाता है
Note :- बद्रीनाथ अलकनंदा के किनारे स्थित है

धौली गंगा के बारे में ।
धौली गंगा को धौली नदी भी कहते हैं , यह चमोली में धौली गंगा बांध बनाकर 280 मेगावाट की बिजली देता है तथा उसके बाद यह विष्णु गंगा के साथ मिलकर धौली गंगा , विष्णु प्रयाग का निर्माण करती है।

विष्णु गंगा के बारे में बताइए
यह चमोली जिले में स्थित सतोपंथ ग्लेशियर जो की 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहां से विष्णु गंगा निकलती है बाद में यह धौली गंगा के साथ मिलकर अलकनंदा नदी का निर्माण करती है।

2 नंदप्रयाग के बारे में बताइए।
यह दूसरा प्रयाग के नाम से जाना जाता है तथा यह विष्णु प्रयाग से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ,जो की चमोली जिले में स्थित है नंदप्रयाग मंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी के संगम से मिलकर बनता है।

नंदाकिनी नदी के बारे में।
यह नंदाकिनी नदी अलकनंदा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है जहां यह नंदा घुघुंटी जो की त्रिशूल पर्वत के तलहटी में स्थित है वहां से निकलकर अलकनंदा में मिलती है।

3 कर्णप्रयाग के बारे में बताइए ।
कर्णप्रयाग पांच प्रयागो में से तीसरा प्रयाग कहा जाता है, जो की चमोली जिले में स्थित है कर्णप्रयाग विष्णु प्रयाग से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कर्णप्रयाग जो की अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम से मिलकर बनता है।

पिंडर नदी के बारे में बताइए
पिंडर नदी जो कि उत्तराखंड के बागेश्वर में स्थित पिंडर हिमानी नमक ग्लेशियर से निकलती है यह ग्लेशियर 3820 मी की ऊंचाई पर स्थित है जहां से पिंडर नदी अलकनंदा से मिलकर कर्णप्रयाग बनता है जो की चमोली में स्थित है कर्णप्रयाग तक पिंडर नदी की लंबाई 105 किलोमीटर हो जाती है।

4 रुद्रप्रयाग के बारे में बताइए
रुद्रप्रयाग पांच प्रयागों में चौथा प्रयाग कहा जाता है जो कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है तथा विष्णु प्रयाग से रुद्रप्रयाग तक की दूरी 122 किलोमीटर है । रुद्रप्रयाग जो की मंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी के संगम से मिलकर बनता है।

मंदाकिनी नदी के बारे में बताइए
मंदाकिनी नदी चौरा बरी ग्लेशियर जो की रुद्रप्रयाग में स्थित है जो की 70 किलोमीटर की दूरी तय करके अलकनंदा में मिलती है जहां रुद्रप्रयाग के नाम से जाना जाता है।

5 देवप्रयाग के बारे में बताइए
देव प्रिया को पांचवा प्रयाग कहा जाता है देवप्रयाग जो कि टिहरी जिले में स्थित है तथा देवप्रयाग तक अलकनंदा की कुल लंबाई 195 किलोमीटर हो जाती है यहां अलकनंदा को बहू कहा जाता है देवप्रयाग भागीरथी और अलकनंदा की संगम से मिलकर बनती है यहां से अलकनंदा को गंगा कहा जाता है जो कि अंत में बंगाल की खाड़ी तक उसका सफर 2525 किलोमीटर तक दूरी तय करती है

भागीरथी नदी के बारे में बताइए
भागीरथी नदी जो की उत्तरकाशी के गोमुख से निकलती है , भागीरथी नदी की कुल लंबाई 205 किलोमीटर है ,यह टिहरी झील से होते हुए देव प्रयाग में मिलती है।

उत्तराखंड से जुड़े प्रमुख आंदोलन कुछ इस प्रकार है

1- कुली बेगार आंदोलन क्या है
उत्तराखंड में ब्रिटिश काल के समय पर जब अंग्रेज उत्तराखंड में आए । वे एक स्थान से दूसरे स्थान में जाने के लिए अपना सामान खुद ना उठा कर गांव वालों के द्वारा ले जाने की प्रथा थी। जिसके लिए उन्हें मजदूरी नहीं मिलती थी, यह हर घर से सब की बारी लगती थी ,जो कि रजिस्टर में नाम पंजीकरण था सबका । 13 जनवरी 1921 में सरयू के मेले में शपथ ली कि आज के बाद बेकार नहीं देंगे , और सभी रजिस्टरों को पानी में बहा दिया गया इस प्रकार कुली बेगार आंदोलन का अंत किया इसका नेतृत्व बद्रीनाथ पांडे कर रहे थे।

2-डोला पालकी आंदोलन क्या है
डोला पाली आंदोलन समाज के निचले वर्ग के लोगों द्वारा अपनी शादी में घोड़े में बैठने की परंपरा नहीं थी । दूल्हा पैदल ही चला करता था
इसका नेतृत्व दयानंद भारती ने किया 1930 में इसकी शुरुआत हुई।आंदोलन के बाद यह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गया इसके बाद यह मामला शिल्पकारो के पास आया और उन्हें यह अनुमति मिली।

3-रवाई आंदोलन क्या है
यह आंदोलन 1927 – 1928 के समय का है जब भारत आजाद ना हुआ था तब टिहरी गढ़वाल में नरेंद्र शाह का राज्य था , उस समय वन कानून लाया गया, जिसमें गांव के लोगों की जमीन उनके वन कानून के अंदर आने लगी , जिससे लोगों में आक्रोश उत्पन्न हुआ और आंदोलन शुरू होने लगा, 30 में 1930 को विद्रोह हुआ जिसमें दीवान चक्रधर जुयाल की आज्ञा से आंदोलनकारी में गोली चला दी गई ,इससे गढ़वाल का जलियांवाला बाग भी कहा गया है

4-टिहरी राज्य आंदोलन क्या है
टिहरी राज्य आंदोलन की स्थापना 1939 में हुई। श्री देव सुमन ने may 1944 को हड़ताल की इसके बाद 84 दिन बाद हड़ताल के कारण उनकी मृत्यु हो गई ।और 1947 में भी आजादी के बाद भी यह विद्रोह चला गया ,1948 में कीर्ति नगर आंदोलन में भोलूराम राम और नागेंद्र ने आंदोलन तेज कर दिया । 1949 में मानवेंद शाह ने विलीनीकरण पत्र पर हस्ताक्षर किया । 1 अगस्त 1999 को टिहरी संयुक्त उत्तर प्रदेश में जिला के रूप में मिल गया।

5-चिपको आंदोलन क्या है


यह आंदोलन 23 वर्षीय विधवा महिला द्वारा किया गया । गौरा देवी ने 1970 के समय यह आंदोलन की शुरुआत कि, जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही थी गौरा देवी ने गांव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर पेड़ों पर चिपक कर खड़े हो गए ,जिससे कि पेड़ों की कटाई ना हो यही आंदोलन चिपको आंदोलन के नाम से जाना जाता है

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