प्रतिरोध क्या होता है विद्युत धारा में :- यदि किसी भी बंद परिपथ में चालक में विद्युत धारा को प्रभावित करें तो जो उसके सिरों के मध्य विभावांतर और उसमें प्रभावित धारा का एक अनुपात होता है जिसे हम प्रतिरोध कहते हैं Note – प्रतिरोध का S.I. मात्रक ओम होता है।
प्रतिरोधकता किसमें पाई जाती है धातु में प्रतिरोधक की संख्या पाई जाती हैं लेकिन यह संख्या कम होती है अधातु में प्रतिरोधक संख्या अत्यधिक मात्रा में होती है
Note तापमान बढ़ने पर पदार्थ में प्रतिरोधकता भी बढ़ जाती है
ओम का क्या नियम है यदि किसी चालक के ताप पर कोई परिवर्तन किए बिना चालक के सिरों पर लगाया गया विभवांतर उस चालक में प्रभावित होने वाली धारा के अनुक्रमांपाती होता है यही ओम का नियम है । ओम का नियम का सूत्र इस प्रकार है V = RI जहा
विभवांतर वोल्ट (V) *धारा एंपियर (I ) *प्रतिरोध ओम (R)
Note ओम का नियम उन पदार्थों पर लागू होता है जहां विभवांतर और धारा के बीच एक रेखीय का संबंध होता है
ताप बढ़ने पर किसी भी धातु का प्रतिरोध बढ़ता है *किसी भी चालक में प्रतिरोध का मान लंबाई बढ़ने पर बढ़ता है
प्रतिरोध का श्रेणी क्रम किसी भी प्रतिरोध का श्रेणी क्रम यह दर्शाता है कि उसका कुल प्रतिरोध उस परिपथ में कुल प्रतिरोध के योग के बराबर होता है प्रतिरोध को हम R से दर्शाते हैं प्रतिरोध का सूत्र श्रेणी क्रम में नीचे दिया गया है। R = R1+ R2+ R3+…..
Ex – यदि हमारे पास कोई 2Ω, 5Ω, 7Ω का प्रतिरोध हो तो हम इसे श्रेणी क्रम में इस प्रकार लिखेंगे R = 2Ω + 5Ω +7Ω R = 14Ω इस प्रकार हम इसका प्रतिरोध निकालते है
Note :- यदि हम बहुत सारे बल्ब को श्रेणी क्रम में लगा देंगे जिससे कि प्रतिरोध की संख्या बढ़ जाएगी बल्ब द्वारा दिया गया प्रकाश जो कि बहुत कम हो जाएगा प्रतिरोध के बढ़ने से।
समानांतर प्रतिरोध क्या है यदि आपके पास कुछ प्रतिरोध दिए गए हैं जिन्हें समानांतर श्रेणी में लगाना है तो हम उन प्रतिरोधों को समानांतर श्रेणी में इस प्रकार दर्शाते हैं 1/R = 1/R1 + 1/R2 +1R3+ ….
Ex यदि आपके पास कुछ प्रतिरोध दिए गए हैं जो कि समानांतर क्रम में है ये प्रतिरोध इस प्रकार हैं 10 Ω, 10 Ω , 20 Ω इन्हें समानांतर श्रेणी में लगाकर इन का प्रतिरोध निकालते हैं
1/R = 1/ R1 + 1/ R2 +1/ R3+ …. 1/R = 1/ 10 + 1/ 10 + 1/ 20 1/R = 1/ 4 R= 4 इस प्रकार हम इसका प्रतिरोध निकालते है
Note यदि हम प्रतिरोधों को समानांतर क्रम मैं जोड़ते हैं तो उनमें प्रतिरोध समान रूप से लगता है जिससे धारा अधिक प्रवाह होती है
हमारे घरों में जो प्रतिरोध लगाए जाते हैं वे सभी समानांतर क्रम में होते हैं
विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव क्या होता है विद्युत धारा में रसायनिक प्रभाव को विद्युत अपघटन या विद्युत रसायनिक बल कहते हैं इनमें इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होता है जब इनमें विद्युत धारा प्रवाहित किया जाता है तो इन में उपस्थित आयन अलग अलग हो जाते हैं ऋण आत्मक इलेक्ट्रो कैथोड की ओर गति करते हैं और धनात्मक इलेक्ट्रोड एनोट की ओर गति करते हैं यह रसायनिक अभिक्रिया द्वारा अलग अलग हो जाते हैं इसी को ही हम रासायनिक प्रभाव कहते हैं
विद्युत अपघटन क्या है किसी धातु में विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करने पर उनमें दो आवेश उत्पन्न हो जाते हैं जिन्हें हम ऋण आत्मक आवेश और धनात्मक आवेश कहते हैं इसी को ही हम विद्युत अपघटन कहते हैं
विद्युत विद्युत सेल क्या होता है विद्युत सेल एक ऐसी प्रक्रिया है जो रसायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है इसमें दो इलेक्ट्रोड होते हैं एक धनात्मक इलेक्ट्रोड जो कैथोड पर होता है और दूसरा ऋण आत्मक इलेक्ट्रोड जो एनोट पर होता है और जब इनकी रसायनिक अभिक्रिया की जाती है तो इससे विद्युत ऊर्जा मिलती हैं तो इसी अभिक्रिया को विद्युत सेल काम में लेती है यह प्रक्रिया ही विद्युत सेल दर्शाती है
Electrolysis diagram experiment
विद्युत सेल के प्रकार आम तौर पर विद्युत सेल दो प्रकार के होते हैं
प्राथमिक सेल
द्वितीयक सेल
*प्राथमिक सेल क्या होते हैं प्राथमिक सेल ऐसी रसायनिक अभिक्रिया है जो रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। जैसे घड़ी का सेल
*द्वितीयक सेल क्या होते हैं द्वितीयक सेल ऐसी रसायनिक अभिक्रिया है जो विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलता है फिर रसायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है यही प्रक्रिया चलती रहती है
उदाहरण के लिए मोबाइल में यूज होने वाली बैटरी इस प्रकार की अभिक्रिया को फॉलो करती है
विद्युत शक्ति का मापन कैसे होता है विद्युत शक्ति का मापन वोल्ट में किया जाता है जिसमें वह विद्युत धारा और विद्युत विभवांतर के गुणनफल के बराबर होता है यह इस प्रकार होता है
P = I × V
विद्युत शक्ति (वाट) = P विद्युत धारा (एंपियर )= I विद्युत विभवांतर (वोल्ट) = V
Ex यदि हम किसी बल्ब पर 20 एंपियर की धारा डाले तो और इसके शिराओं में 100 वोल्ट का विभांतर हो तो ।तो इसके विद्युत शक्ति हम इस प्रकार निकलेंगे। यह कुछ इस प्रकार है
P = 20 × 100 = 2000 वाट
फ्यूज क्या होता है और इसका उपयोग फ्यूज एक सुरक्षा उपकरण है जो विद्युत सर्किट को शॉर्ट सर्किट होने से बचाता है यह एक पतली धातु की तार का होता है जो टीन और लेट के मिश्र धातु है जिस का गलनांक बहुत कम होता है यदि घर पर अधिक धारा आती है तो तो इसका कनेक्शन टूट जाता है क्योंकि इस का गलनांक बहुत कम होता है जिससे कि यह घर को बचाए रखता है यदि हम फ्यूज का उपयोग ना करें तो तो घर पर अधिक धारा आ जाती है जिससे कि पूरे घर को अधिक नुकसान पहुंच सकता है इसलिए हम फ्यूज का प्रयोग करते हैं। और यह श्रेणी क्रम में जुड़ा रहता है।
संधारित्र क्या होता है यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें आवेश का स्थिति ऊर्जा के रूप में जमा किया जाता है यह दो या दो से अधिक प्लेटों से बना रहता है और इसमें सभी प्लेटों के बीच में विद्युत क्षेत्र होता है जो दूसरे प्लेटों को विपरीत आवेश देता है जिससे उनके बीच में एक दूरी रहती है इसका उपयोग विद्युत उपकरण में होता है जैसे कंप्यूटर और टीवी आदि । Note संधारित्र गोलाकार ,सिलेंडर या प्लेट के आकार की हो सकती हैं
संधारित्र का श्रेणी क्रम और समांतर क्रम *श्रेणी क्रम जब हमारे पास कुछ संधारित्र दिए होते हैं वह श्रेणी क्रम में इस प्रकार दर्शाते हैं
संधारित्र का श्रेणी क्रम C = C1 + C2 + C3+…
संधारित्र का समांतर क्रम :- जब हमारे पास कुछ संधारित्र होते हैं समांतर क्रम में इस प्रकार दर्शाते हैं 1/C = 1/C1+ 1/C2
विद्युत धारा के बारे में part 1 . यह second part की पोस्ट है । First part link